- चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने बैलेट पेपर के साथ की थी छेड़छाड़
- सुप्रीम कोर्ट ने माना रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने किया था कानून से छेड़छाड़
- बीजेपी पर आप के तीन वोटों को जोड़तोड़ का लगा आरोप
न्यूज़ डेस्क
चंडीगढ़:– देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर कटघरे में खड़ी है। जहां प्रधानमंत्री मोदी जी, मोदी की गारंटी देकर देश को नए- नए किस्से कहानियां सुनाते रहते हैं। वही चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को अपने पक्ष में लेकर आम आदमी पार्टी के आठ वोटो को अवैध करार देने की सबसे बडी संवेदनहीनता करने का आरोप अनिल मसीह पर लगा है। जिनके बारे में बताया जा रहा है, कि वह भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़े हुए हैं। बताते चलें कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रहे कुलदीप कुमार के पीआईएल फाइल करने के बाद मामले को संज्ञान में लिया था।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी से कुलदीप कुमार को विजयी घोषित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उन 8 अमान्य घोषित किए गए वोट को भी वैध बताते हुए जीत का खिताब आम आदमी पार्टी को दिया है।, जिन्हें रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने अवैध बताया था।लोकसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ के मेयर पद के चुनाव को लिटमस टेस्ट कहने वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को गत 30 जनवरी को हार का सामना करना पड़ा था।
चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी उम्मीदवार मनोज सोनकर 16 वोट हासिल कर मेयर चुने गए थे। इसकी वजह है कि 36 (35 पार्षदों और एक सांसद) मतदान की क्षमता वाले इस नगर निगम के मेयर पद के चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मिले 20 वोटों में से 8 मतदान को रद्द कर दिया गया था. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, जिस पर आज यानी मंगलवार (20 फरवरी) को फैसला सुनाया गया है।
चंडीगढ़ नगर निगम के क्या कहते हैं समीकरण
चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14 पार्षद हैं। संख्याबल के लिहाज से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. इसके बाद 13 पार्षदों के साथ AAP चंडीगढ़ नगर निगम में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के 7 पार्षद हैं और एक पार्षद शिरोमणि अकाली दल के है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में स्थानीय सांसद को भी मतदान का अधिकार है। बीजेपी की किरण खेर यहां की सांसद हैं।
किसे मिले थे कितने वोट
चंडीगढ़ नगर निगम में जीत के लिए 19 वोट के आंकड़े तक पहुंचना जरूरी था. बीजेपी के पास उसके अपने पार्षदों और सांसद के एक वोट को मिलाकर कुल 15 वोट थे। निर्दलीय शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद का वोट भी जोड़ लें तो बीजेपी का आंकड़ा 16 तक ही पहुंच रहा था। 30 जनवरी को मेयर इलेक्शन में बीजेपी उम्मीदवार को इतने ही वोट मिले भी थे। वहीं दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षदों को मिलाकर वोटों का आंकड़ा 20 था। वोटिंग के बाद गिनती पूरी हुई तब बताया गया कि कांग्रेस और AAP के साझा उम्मीदवार के पक्ष में पड़े 20 में से 8 वोट रिजेक्ट हो गए. इसके बाद दोनों दलों के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मिले वैलिड वोट 12 ही बचे थे. इसके बाद बीजेपी उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया गया था।
मेयर चुनाव में धांधली तो लोकसभा चुनाव में कैसे दिखेगी ईमानदारी- केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने इस हार को बेईमानी करार दिया था. उन्होंने कहा, ‘चंडीगढ़ मेयर चुनाव में दिन दहाड़े जिस तरह से बेईमानी की गई है, वो बेहद चिंताजनक है। यदि एक मेयर चुनाव में ये लोग इतना गिर सकते हैं तो देश के चुनाव में तो ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। ये बेहद चिंताजनक है।अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम आदमी पार्टी के पक्ष में गया है तो अरविंद केजरीवाल ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहा हैै।
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