उत्तर प्रदेश में बनेंगे 100 बाढ़ शरणार्थी स्थल, जाने किन-किन जिलों में बनेंगे शरणार्थी स्थल

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सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को होने वाले नुकसान से बचने के लिए तैयार की यह योजना

प्रदेश के लगभग 18 जिलों में बनेंगे यह स्थाई बसेरे

न्यूज़ डेस्क
लखनऊ:- प्रदेश सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए 100 बाढ़ शरणार्थी स्थल बनाने की योजना पर मुहर लगा दिया है।जिस पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 622 करोड़ रूपए खर्च करेगी। इस योजना का उद्देश्य हर वर्ष नदियों से सटे सभी जिलों के गावों को राहत दिलाने से है। प्रत्येक वर्ष बारिश के समय अक्सर बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्र को आनन फानन वहां से पलायन करना पड़ता हैं। जिसके कारण लोंगों को अस्थाई कैंप बनाकर रोकने की व्यवस्था करनी पड़ती थीं। परंतु स्थाई बसेरे बनने के बाद पलायन करने वाले लोगों को राहत मिलेगी। नए बनाए जाने वाले बसेरों में लगभग 3 हज़ार लोगों के रुकने की व्यवस्था रहेगी। प्रदेश सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करवाया था। जिसमें 18 जनपदों की स्थिति अति संवेदनशील पाई गई।
योगी सरकार बाढ़ सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हर वर्ष होने वाली जन हानि को रोकने के लिए पिछले 6 वर्षों में प्रदेश आपदाओं में होने वाली जनहानि को ध्यान में रखते हुए, उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। जिसमें आपदा राहत आयुक्त जी एस नवीन कुमार ने यह मत रखा था,कि इन आपदाओं में होने वाली जनहानि को काफी हद तक रोका जा सकता है। जिसके बाद शासन ने आवश्यक बैठक कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के सर्वे कराने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद प्रदेश की 18 जनपद अति संवेदनशील पाए गए थे। संवेदनशील पाए गए अमरोहा,आजमगढ़,बाराबंकी,बिजनौर,बदायूं,फरुखाबाद,गोंडा,हरदोई,कन्नौज,कासगंज,खीरी,कुशीनगर,मेरठ,मुजफ्फरनगर,शाहजहांपुर,सीतापुर,उन्नाव व मऊ पाए गए थे।जिस के बाद नदियों के किनारे पर बसे इन जनपदों के लगभग 700 से अधिक गांव के लोगों के लिए स्थाई बसेरे की अनुमति दी गई।

तीन चरणों में बनेंगे स्थाई बाढ़ बसेरे

सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले 18 जनपदों में स्थानीय आवश्कता को ध्यान में रखते हुए 100 स्थाई बाढ़ बसेरों का निर्माण कार्य को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसके तहत पहले चरण में 10 अति संवेदनशील बाढ़ स्थलों पर व दूसरे, तीसरे चरण में 45-45 स्थलों पर निर्माण कार्य कराए जाएंगे। इन शरणार्थी स्थलों को बनाने की ज़िम्मेदारी PWD को दी गई हैं। PWD ने राहत विभाग को निर्माण कार्य के ब्लू प्रिंट दे दिया है। जिसमें विभाग ने प्रत्येक बसेरे के निर्माण में 6.2 करोड़ की धनराशि खर्च का अनुमान लगाया है।

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