- हिट एंड रन क़ानून के हड़ताल के दौरान संगठन पदाधिकारी ने पूछा था,अगर हमला हुआ तो ज़िम्मेदार कौन
- संगठन शाखा अध्यक्ष की बिना जाँच किए ही समाप्त कर दी संविदा,कर्मचारियों में बढ़ रहा आक्रोश
- संविदा समाप्ति वापस नहीं हुई तो डिपो के सभी कर्मचारियों ने दी हड़ताल की नोटिस
न्यूज़ डेस्क
लखनऊ:- मामला उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के लखनऊ क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले हैदरगढ़ डिपो का है। जहाँ पर एक चालक की संविदा इसलिए समाप्त कर दी गई,क्योंकि उसने ये पूछ लिया था,कि अगर स्ट्राइक के दौरान कोई भी गाड़ी या संचालन कर रहे कर्मचारी पर हमला करता है,तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा। बस सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक बिफर पड़े। और व्यक्तिगत तौर पर ना जाने की नसीहत दे डाली, जब वहाँ उपस्थित ड्राइवरों ने एआरएम की ऐसी बात को सुनकर जाने से मना किया तो सारा आरोप परिवहन निगम के ही मान्यता प्राप्त संगठन यू. पी. रोड़वेज एम्पलाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष व संविदा चालक पद पर तैनात कर्मचारी की संविदा समाप्त कर दी। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक ने जहां एक तरफ संविदा कर्मियों की संविदा समाप्त किए जाने से पूर्व संविदा समाप्ति के पूर्व अपनी बात रखने का पूर्ण अवसर प्रदान करने के संबंध में 14 सितंबर 2023 को ही अपना आदेश जारी किया हुआ है। बावजूद इसके सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अपने अधीनस्थ वरिष्ठ केंद्र प्रभारी की मिली भगत के साथ सिर्फ एक रिपोर्ट के आधार पर बिना जांच किए ही संविदा समाप्ति की कार्रवाई पूर्ण कर दी। जब मामले के बाबत बात की गई तो वीडियो का हवाला दिया गया है जिसे देखने पर यह नहीं प्रतीत होता कि किसी अमर्यादित भाषा में बात की गई हैं। हां ये बात अलग है कि स्वयं सम्बंधित एआरएम खुद ही संगठन के पदाधिकारी को नेतागिरी न करने की नसीहत देते दिख रहे हैं। बताते चलें कि प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों का हाल हिट एंड रन संबंधी कानून के कारण शुरु हुईं हड़ताल से काफी प्रभावित रहा।इसके बाद मुख्यालय स्तर से कर्मचारियों को अफवाहों से बचने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया था। कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के बजाय नौकरी छीनकर निगम में व्यावसायिक अव्व्यवस्था उत्पन्न करने वाले ए आर एम ने नौकरी समाप्त करना ही शुरु कर दिया। वो भी सिर्फ एक चालक जो कर्मचारी हितों के लिए अपने उच्चस्थ अधिकारियों के सामने अपनी बात ही रख रहा था।जो परिवहन निगम के ही मान्यता प्राप्त संगठन यू पी रोडवेज एम्पलाइज यूनियन के शाखा स्तर के पदाधिकारी थे। प्राप्त सूचनाओं के मुताबिक पूरे प्रदेश में ऐसे कई कर्मचारी थे, जो अपने काम पर उपस्थित होते हुए भी वाहनों के संचालक को नहीं गए थे। क्योंकि नए प्रस्तावित कानून चालकों के अधिकारों को प्रभावित करने के साथ जगह जगह होने वाले ट्रक चालकों व तोड़फोड़ को लेकर काफ़ी परेशानी में थे।
जिसके बाद भारत सरकार में कार्यरत केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कमेटी कांग्रेस से बातचीत कर चक्का जाम की स्थिति को खत्म करने का निवेदन किया था। वहीं चालक के अनुसार जब वह 2 जनवरी 2024 को अपने पैर में लगी चोट के कारण अपना अवकाश प्रार्थना पत्र देने गया, तो वहां पर उपस्थित वरिष्ठ केंद्र प्रभारी राधा प्रधान ने छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र लेने से मना कर दिया। इसके बाद चालक ने अपने प्रार्थना पत्र को स्पीड पोस्ट करने की बात कही। जिसके बाद चालक की बात इतनी एसएसआई को इतनी नागवार गुजरी कि, वहां पर उपस्थित वरिष्ठ केंद्र प्रभारी ने चालक की संविदा समाप्त करने की रिपोर्ट प्रेषित कर दी। इस परिपेक्ष में यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवहन निगम यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है।और जबरदस्ती संचालन के लिए चालकों को मार्ग पर भेजने के लिए दबाव बना रहा है। जिससे परिवहन निगम की छवि किसी भी अप्रत्याशित दुर्घटना के बाद धूमिल होने की भी उम्मीद बनी रहती है। फिलहाल संबंधित सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने अपने अधीनस्थ वरिष्ठ केंद्र प्रभारियों की रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर श्रम कानूनों व 13 सितंबर 2023 को जारी हुए आदेश जो कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के प्रबंधन निदेशक के है,कि धज्जियां उड़ाते हुए संविदा समाप्ति की कार्यवाही बिना किसी जांच प्रक्रिया के पूर्ण कर दिया। जिसके बाद से पीड़ित चालक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। एक तरफ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ सरकार गरीबों के उन्मूलन के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। वहीं विभागों के तानाशाह अफ़सर अपनी कलम के बलबूते पीड़ितों के रोजगार को कुचलने में लगे हुए हैं।
शाजापुर के डीएम ने भी दिखाई थी ड्राइवर को औकात
मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के कलेक्टर ने भी एक बैठक के दौरान ड्राइवर को औकात दिखाने की बात कही थी। जिसे देखते ही देखते वायरल होने में ज्यादा समय नहीं लगा। इसके बाद प्रशासन ने संज्ञान में लेते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तत्काल प्रभाव से संबंधित जिले की कलेक्टर को हटा दिया था।
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क्या कहते हैं श्रम कानून
देश में कर्मचारियों की रक्षा के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं, इनके जरिए वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकते हैं। इनमें औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, महिला मुआवजा अधिनियम 1923, राज्य दुकानें और स्थापना नियम, अनुबंध अधिनियम 1872 और मातृत्व लाभ अधिनियम शामिल हैं
इनके जरिए वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकते हैं।
आइए जानते हैं कि भारत में कर्मचारियों के लिए क्या नियम तय किए गए हैं।
अधिकारों को जानने से पहले हमें समझना होगा कि अवैध तरीके से नौकरी की समाप्ति क्या होती है? अवैध या गलत तरीके से नौकरी से निकालने का मतलब होता है कि जब किसी कर्मचारी को बिना किसी पर्याप्त कारण के नौकरी से निकाल दिया जाता है।इसमें कर्मचारी का संस्था के साथ व्यक्तिगत संघर्ष, संस्था का घाटे में जाना आदि हो सकता है।
नौकरी से निकाले जाने के गलत तरीके
कोई भी संस्था भेदभाव के आधार पर किसी कर्मचारी को नहीं निकाल सकती है। इनमें जाति, उम्र, लिंग, राष्ट्रीयता, आपसी मतभेद आदि भेदभाव के आधार हो सकते हैं। गलत तरीके से नौकरी से निकाले जाने वाले हर भारतीय के पास कानूनी अधिकार हैं, जिनके जरिए वह सम्बंधित संस्था के फैसले को चुनौती दे सकता है। इनमें औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, महिला मुआवजा अधिनियम 1923, राज्य दुकानें और स्थापना नियम, अनुबंध अधिनियम 1872 और मातृत्व लाभ अधिनियम शामिल हैं.
प्राप्त हुए वीडियो को साक्ष्य मानकर व वरिष्ठ केंद्र प्रभारी के रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की गई।
“सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, हैदरगढ़ डिपो”
मामला संज्ञान में नहीं हैं। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक से बात नहीं हो सकी हैं।जिस कारण मामले के संबंध में कुछ भी कहना संभव नहीं हैं। मामला संज्ञान में आने पर न्यायोचित कार्यवाही की जायेगी।
“क्षेत्रीय प्रबंधक, लखनऊ क्षेत्र”
मेरे द्वारा 1 जनवरी 2024 को सिर्फ़ रास्तों पर होने वाले ट्रक ड्राइवर्स के द्वारा जगह- जगह होने वाले चक्का जाम के बारे में होने वाले तोड़ फोड़ पर कौन जिम्मेदार होगा, इस बारे में पूछा गया था।मेरे द्वारा डिपो कर्मचारियों को न ही भड़काया गया और न ही अभद्रता पूर्वक कोई बात की गई।बार बार कर्मचारियों के फोन आ रहे थे।जिस कारण एक मान्यता प्राप्त संगठन के पदाधिकारी होने के नाते मैनें बस स्टैंड पर उपस्थित अधिकारियों से अपनी बात रखी थी। व मेरे पैर में चोट होने के कारण मैं सिर्फ अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र देने गया था। इसके बावजूद बिना किसी स्पष्टीकरण अथवा जॉच के मेरी संविदा समाप्त कर दी गई।
“प्रदीप कुमार पाण्डेय, संविदा समाप्त किए जाने वाले चालक”
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जब नियोक्ता किसी कर्मचारी को बर्खास्त करता है, तो उसे पर्याप्त कारण दिखाना होगा। जाति, नस्ल, रंग, लिंग या आपसी मनमुटाव आदि के आधार पर किसी कर्मचारी को बर्खास्त करना, बर्खास्तगी का अवैध कारण है। एक कर्मचारी जिसने संगठन में गलत कामों की सूचना दी है, उसे इन आधारों पर नहीं हटाया जा सकता है।यदि किसी कंपनी को कर्मचारियों को गलत तरीके से नौकरी से निकालने का दोषी पाया जाता है, तो वे मुआवजे के लिए उत्तरदायी होंगे और नौकरी की स्थिति को बहाल करने या समान भूमिका की पेशकश करने के लिए उत्तरदायी होंगे। गलत तरीके से समाप्ति का दोषी पाए जाने पर कंपनियों को दंडित भी किया जा सकता है।