- स्मार्ट बजट के नाम से सरकारी विभागों में रोज़गार कटौती के जारी हुए आदेश, अब संविदा कर्मियों के भर्ती पर ही लगी रोक
- अभी तक संविदा पर कर्मचारियों को रखकर अर्थिक शोषण के बनते थे शिकार, अब रोजगार के लिए और होगी जद्दोजहद
गौरव श्रीवास्तव
लखनऊ:-प्रदेश की योगी सरकार लगातार खर्चों में कटौती को लेकर काफ़ी संवेदनशील बनी हुई हैं। योगी सरकार ने समस्त विभागों को अगले बजट में स्मार्ट बजट का नाम देकर विभागीय संविदा में कटौती के साथ कार्य को ही ठेके पर देने की बात कही गई है। इस व्यवस्था से जहां एक ओर स्थाई रोजगार के अवसर समाप्त होंगे, वहीं दूसरी तरफ़ विभिन्न तरह के कार्यों के संपादन के दौरान अथवा बाद में गोपनीयता का भी खतरा बना रहेगा। सभी विभागों व उनके सयंत्रो की नई खरीद पर रोक लगाने को कहा है। इसी के साथ पुराने कबाड़ हो चुके उपकरणों को ही इस्तेमाल करने को कहा है। बिना सरकार के अनुमोदन के किसी भी सरकारी संपत्ति पर रोक लगा दिया है। शासन ने विभिन्न विभागों से लाभार्थियों तक पहुंचने वाले लाभों के दौरान भी हो रहे सभी खर्चों को गुणा भाग करने को कह दिया है।
सरकार की क्या है दलील
सरकार द्धारा दिए गए तर्क के अनुसार शासन जनता को मिलने वाली योजनाओं में अधिक खर्च कर रहीं हैं।वहीं राजकीय विभागों के खर्चों में कटौती करने के निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने किसी कार्य हेतु एक साथ बजट के जारी करने पर भी नकेल कसी है। किसी अपरिहार्य स्थितियों में ही लिखित समीक्षा के बाद बजट जारी किया जा सकेगा। साथ ही जिन विभागों में राजस्व वसूली ज्यादा नहीं हो पा रही है और विभागीय खर्चे अधिक है उनकी भी समीक्षा कर सख्त कार्यवाही करने को कहा गया है।
यह भी पढ़े????????????????
मृत अवस्था में रोड पर निकाला युवती का शव ,मचा हड़कंप
योजनाओं पर भी चलेगा योगी का डंडा
प्रत्तेक विभाग द्वारा अनेक चल रही विभागीय योजनाओं की समीक्षा करने को कहा गया है। साथ ही गैर जरूरी योजनाओं को तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है। अनेक तरह के खर्चों की बारीकी से जांच कर उन्हे रोकने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किया गया है।
आदेश के क्या होंगे नुक़सान
पुराने अभिलेख के अनुसार पहले से बदतर सरकारी व्यवस्था राजकीय तंत्र को और अधिक खोखला करने का काम करेगी। वर्तमान स्थिति में अनेक विभागों में लाखों में रिक्तियां मौजूद हैं। बावजूद इसके जब जब संविदा भर्तियों में भी रोक लग जाएगी,तो पर अधिक सरकारी तंत्र की कार्य क्षमता मै गिरावट देखा का सकेगा। वही कबाड़ सयंत्रो के उपयोग से नई तकनीक के समावेश व कार्य उत्पादकता पर भी बुरा असर पड़ेगा। संविदा पर काम लेने के लिए अनेक ग़ैर अनुशासनिक व अनियमित संस्थाएं बार-बार नाम बदलकर टेंडर प्रक्रिया में भाग लेगी। जिससे भ्रष्टाचार के साथ-साथ कार्य उत्पादकता व गोपनीयता की भी कमी होगी। वहीं प्रदेश वासियों को रोजगार के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ सकती हैं।
आदेश से क्या होंगे लाभ
सरकार द्धारा जारी किए गए आदेश के कारण सरकार को राजस्व के बचत के साथ अपने दायित्वों में थोड़ी ढील मिल जाएगी। जिससे किसी शिकायत के दौरान कार्यदाई संस्थाओं पर एक्शन भी लिया जा सकेगा।
Author: nationstation
News channel