- अवकाश स्वीकृति को लेकर जूनियर फोरमैन से किया अभद्र व्यवहार, देख लेने की भी दी धमकी
- ट्रांसफर के बावजूद भी डटे रहे असद कदीर, पहुंच ने कराया ट्रांसफर आदेश रद्द
ब्यूरो रिपोर्ट
बदायूं:-मामला बरेली क्षेत्र के बदायूं डिपो का है। जहां पर फोरमैन द्वारा दिए गए पत्र के अनुसार एक चालक द्वारा अपनी अवकाश स्वीकृति के लिए समयपाल असद कदीर खां के पास प्रार्थना पत्र ले जाया गया।जहां से समयपाल ने फोरमैन से प्रार्थना पत्र अग्रसारित कराने की बात कही गई, जिसके बाद चालक ने अपना प्रार्थना पत्र जूनियर फोरमैन से अग्रसारित करवा लिया। जिसके बाद समयपाल द्वारा जूनियर फोरमैन से बहस करना शुरू कर दिया गया। बात इतनी बढ़ गई कि, समयपाल को यह भी नहीं पता चला कि, कब वह अपने सहकर्मी के साथ अभद्र व्यवहार कर रहा है। मामला बढ़ते-बढ़ते गाली गलौज तक पहुंच गया। जिसके बाद गेट के बाहर देख लेने की धमकी भी दी जाने लगी। डिपो में उपस्थित कर्मचारियों के बीच बचाव के बाद मामला शांत हो पाया। फिर भी समयपाल द्वारा अभद्र व्यवहार करते हुए गाली गलौज कर गेट के बाहर देखने की बात कही गई। इसके बाद जूनियर फोरमैन ने लिखित शिकायत सेवा प्रबंधन,बरेली क्षेत्र से की।बताते चलें कि समयपाल का स्थानांतरण भी पिछले तीन माह पूर्व किया गया था। परंतु अधिकारियों की पहुंच ने उसे बेलगाम होने की अनुमति दे दी। बेलगाम होते समयपाल गाली गलौज पर इस कदर उतर जाएंगे।यह कर्मचारियों ने भी नहीं सोचा था।फिरहाल क्षेत्रीय प्रबंधक,बरेली क्षेत्र को उनके हठधर्मिता को देखते हुए स्थानांतरण के आदेश रद्द करने पड़ गए थे। संबंधित कर्मचारी अभी भी बंदायू डिपो में समयपाल के पद पर कार्य कर रहा है। जो आए दिन किसी न किसी बात को लेकर विवादों की श्रृंखला में बना रहता है।
समयपाल को प्राप्त है, संरक्षण
चोरी छिपे डिपो के कर्मचारी भी इस बात को मानते हैं। कि समयपाल की पहुंच काफी ऊपर तक है। जिस कारण प्रोन्नति के बाद भी अधिकारियों के स्थानांतरण को भी अंगूठा दिखा दिया। 3 महीने तक ट्रांसफर होने के बाद भी समयपाल रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर करता रहा,और सहायक क्षेत्र प्रबंधक ने इसकी सुध तक नहीं ली। जिसका परिणाम यह निकला कि संगठन के संरक्षण व ऊपरी पहुंच ने 3 महीने बाद स्थानांतरण आदेश को निरस्त ही कर दिए। और वहीं से समयपाल का मनमाना रवैया अख्तियार होने लगा।इसके बाद कर्मचारियों को भी यह भय बना रहता है,कि कब उनके साथ भी गाली गलौज जैसे विवाद उत्पन्न ना हो जाए।
वेतन आहरण में भी आ रही भ्रष्टाचार की बू
वैसे वरिष्ठ लिपिक असद कदीर खां का स्थानांतरण 30 जून 2023 को ही बदायूं डिपो से रुहेलखंड डिपो में कर दिया गया था। परंतु मनमानी रवैया के कारण असद कदीर रोहिलखंड डिपो में नवीन तैनाती पर अपने कार्यभार को ग्रहण ही नहीं किया गया। और ना ही बंदायू डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने उन्हें रिलीव करने की जहमत उठाई।बावज़ूद इसके आदेश निरस्त होने से पूर्व वेतन आहरित होता रहा।जिसमे किसी तरह की रोक नहीं लगाई गई।फिरहाल उनके सोर्स सिपारस के कारण क्षेत्रीय प्रबंधक बरेली ने 27 अक्टूबर 2023 को उनके स्थानांतरण पर रोक लगा दी। और स्थानांतरण के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। जो इस बात की पुष्टि करता है, कि कहीं ना कहीं संबंधित कर्मचारी की पहुंच ऊपर तक जरूर है। जिसके कारण कर्मचारी किसी भी सहकर्मचारियों की गिरेबान को पकड़ने तक से भी गुरेज नहीं करता है। और गाली गलौज में कोई कसर नहीं छोड़ता है।
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