धूमधाम से मनाई गई गीता जयंती,भगवान श्री कृष्ण ही परम तत्व हैं :– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

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रिपोर्ट – वरुण श्रीवास्तव

प्रतापगढ़:  सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा रामानुज आश्रम में मोक्षदा एकादशी के पावन पर्व पर 5159 वीं गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। प्रातः काल भगवान शालिग्राम का दूध दही घी मधु शक्कर एवं गंगाजल से वेद मंत्रों के वीच अभिषेक हुआ। दोपहर में आचार्य गणों द्वारा वेद मंत्रों के मध्य  श्रीमद्भगवद्गीता का पूजन अर्चन किया गया।

       इस अवसर पर धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने आचार्य गणों एवं ब्राह्मणों को अंगवस्त्रम तथा श्रीमद्भगवद्गीता एवं दक्षिणा प्रदान कर उनका सम्मान करने के पश्चात कहा कि आज से 5159 वर्ष पूर्व रविवार के दिन प्रातः 9:20 पर कपिध्वज रथ पर विराजमान नर के अवतार अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में मोह ग्रस्त होकर अवसाद में पड़े थे तब नारायण के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता का संस्कृत में गायन कर के उपदेश दिया।

    मोह में पड़े अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया। परमात्मा जीव और संसार का वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता में विविध प्रकार से हुआ है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मैं ही परम तत्व हूं मेरे अतिरिक्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं है ।हे अर्जुन जो देवताओं की पूजा करता है वह देवताओं को प्राप्त होता है, जो पितरों की पूजा करता है वह पितरों को प्राप्त होता है, जो प्रेतों की पूजा करता है वह प्रेतत्व को प्राप्त होगा, जो मेरी पूजा करेगा वहां वैकुंठ लोक को प्राप्त करेगा।

      कर्म की व्याख्या करते हुए भगवान कहते हैं कर्म करो फल की इच्छा मत रखो जो मेरी शरण में आता है मैं उसके भार को अपने कंधे पर ढोता हूं। इसलिए हमें सदा भगवान श्रीमन्नारायण पर विश्वास रखना चाहिए कि ठाकुर जी जो भी कुछ करेंगे सब अच्छा करेंगे। 

    गीता के आरंभ में धृतराष्ट्र का संजय से प्रश्न था कि युद्ध का परिणाम क्या होगा अंत में संजय ने कहा जहां योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण है और जहां गांडीव धनुष धारी अर्जुन है वहां ही श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है ऐसा मेरा मत है। गीता से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है, वैष्णव से कोई महान नहीं है और सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है । 

  कार्यक्रम में मुख्य रूप से आचार्य आलोक पंडित केशव प्रसाद मिश्र एडवोकेट श्रीमती निर्मला पांडे नारायणी रामानुज दासी आचार्य राममूर्ति पांडे आचार्य कमलेश तिवारी पंडित राम सजीवन मिश्र बेलौरा आचार्य रजवंत पंडित रविशंकर मिश्रा पंडित बद्री प्रसाद मिश्रा पंडित अशोक दुबे अंशुमान सिंह अरुण कुमार मिश्रा अनिल मिश्रा वैदेही शुक्ला ओम प्रकाश यादव सहित अनेक भक्त गण उपस्थित रहे।

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