भेदभाव का हवाला देकर सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा

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  • हिंदू विरोधी बयानों को लेकर काफी चर्चा में थे स्वामी प्रसाद मौर्य
  • चर्चा में आने के बाद से ही ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडे ने मौर्य को बताया था मानसिक रूप से बीमार

न्यूज़ डेस्क
लखनऊ:- हाल ही में समाजवादी पार्टी से जुड़े स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्र लिखकर राष्ट्रीय महासचिव समाजवादी पार्टी के पद से इस्तीफा देने की अपनी इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि,वह बिना पद के पार्टी के लिए कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करते रहेंगे। पत्र के माध्यम से जिक्र करते हुए मौर्य ने कहा मैंने लगातार जनाधार बढ़ाने का काम किया, बल्कि सपा में शामिल होने के बाद से ही मैंने ही नारा दिया “पचासी तो हमारा है 15 में भी बंटवारा है” परंतु पार्टी इस नारे को लगातार निष्प्रभावी करने व पिछले चुनावी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ो प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक से उम्मीदवारों के बदलने के बाद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे। उन्होंने कहा जहां सपा के पास 2017 में मात्र 45 विधायक थे। वहीं विधानसभा चुनाव 2022 के बाद 110 विधायकों की संख्या हो गई, परंतु पार्टी द्वारा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। जिसके चलते वह अपने पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। सपा के विधान परिषद सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे गए पत्र में बताया कि, भारतीय जनता पार्टी के भ्रमजाल में फंसे हजारों आदिवासियों दलितों और पिछड़ों को उन्होंने जगाया है। वही स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू विरोधी बयानों पर जब सपा विधायक मनोज कुमार पांडे से बात की गई, तो उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया। बदले में जब स्वामी प्रसाद मौर्य से मनोज कुमार पांडेय की बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए कहा गया तो उन्होंने विधायक मनोज कुमार पांडेय को भाजपा का एजेंट बता दिया।

भेदभाव का दिया हवाला

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने दिए गए पत्र के माध्यम से कहा है कि वह पार्टी को अधिक जनाधार देने के लिए जनवरी-फरवरी 2023 में आपके( अखिलेश यादव) के पास जातिगत जनगणना करने व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण को बचाने बेरोजगारी व बढ़ी हुई महंगाई पर किसानों का समर्थन देने व लोकतंत्र संविधान को बचाने, देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथों में बेचे जाने के विरोध में प्रदेशव्यापी भ्रमण कार्यक्रम हेतु रथ यात्रा निकाले जाने का सुझाव दिया था। जिस पर आप द्वारा सहमति देते हुए होली के बाद किसी यात्रा को निकाला जाएगा आश्वासन मिलने के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। इसके बाद नेतृत्व के मंशा के अनुरूप मैं इस बात को पुनः कहना उचित नहीं समझा। परंतु लगातार हो रही अनदेखी से राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बने रहना उचित नहीं है। पद के त्याग के बाद भी पार्टी का कार्यकर्ता रहकर पार्टी के लिए कार्य करता रहूंगा।

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