प्रदूषण से बेहाल दिल्ली में सरकार कराएगी कृत्रिम बारिश, जानिए कब और क्या होती हैं कृत्रिम बारिश

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  • दिल्ली सरकार ने रखा पक्ष केंद्र से कहा बस साथ दो पैसे हम खुद लगा लेंगे
  • 20 तारीख को हो सकती हैं कृत्रिम बारिश,13 करोड़ के खर्च का अनुमान

गौरव श्रीवास्तव

नई दिल्ली:- दिल्ली को प्रदूषण की मार से बचने के लिए केजरीवाल सरकार ने कृत्रिम बारिश की तैयारी लगभग पूरी कर ली है| दिल्ली सरकार ने इसके लिए मुख्य सचिव को तैयारी करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं साथ ही सरकार ही इस प्रक्रिया में होने वाले खर्च को वहन करने के लिए भी तैयार है केजरीवाल सरकार का मानना है यदि दिल्ली की केंद्र सरकार राज्य को समर्थन करें, तो इस प्रक्रिया को बिना देरी के पूरा किया जा सकता है| दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की है| वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश करने की योजना सरकार के साथ साझा किया है| लेकिन इसके लिए जब बादल हो या फिर वातावरण में नमी हो तभी इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है| मौसम विभाग के अनुमान के आधार पर 20 या 21 नवंबर को इस तरह की संभावनाएं देखी जा रही है।

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आइए जानते हैं,कैसे होती है कृत्रिम बारिश

सरकार के बड़े अधिकारियों ने बताया की केजरीवाल सरकार ने वैज्ञानिकों को एक प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा है| जिसे उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा|क्लाउड सेटिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश में संघनन को प्रोत्साहित करने के लिए हवा में पदार्थों को फैलाया जाता है| इसके बाद वर्षा हो जाती है| सबसे अधिक क्लाउड सीडिंग के उपयोग किए जाने वाले पदार्थ में सिल्वर आयोडाइड,पोटेशियम आयोडाइड और सुखी बर्फ ठोस कार्बन डाइऑक्साइड शामिल है। इस तकनीक का उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में किया भी जा चुका है मुख्य रूप से उसे स्थान पर जहां पर पानी की कमी या सुख की स्थिति बनी रहती है।

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आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का क्या है मानना

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर नरेंद्र अग्रवाल ने कृत्रिम बारिश के बारे में कहते हैं| हमारे पास अपना खुद का विमान है| जिसमें क्लाउड सीडिंग करने के लिए  लगाए गए हैं| इससे हम कहीं भी क्लाउड सीडिंग कर सकते हैं| उन्होंने बताया कि हम वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पिछले दो महीने से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्लाउड सीडिंग की योजना बना रहे हैं,और इसके लिए दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के साथ समन्वय कर रही है| प्रोफेसर नरेंद्र अग्रवाल बताते हैं| क्लाउड सीडिंग के माध्यम से बारिश होने से धूल के कारण नीचे बैठ जाते हैं| और जल के साथ प्रभावित होने से उस समय पर्यावरण स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त हो जाता है| जब तक हम प्रदूषण के स्रोत पर कार्रवाई नहीं करेंगे यह फिर से आएगा।

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