- दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित हुई ओपीएस रैली
- आप सांसद संजय सिंह समेत किसान नेता राकेश टिकैत भी रहे मौजूद
ग़ौरव श्रीवास्तव
नई दिल्ली:– “पुरानी पेंशन वापस लाओ नहीं तो सरकार से जाओ” यह मैं नहीं रामलीला मैदान पर एकत्रित वही लाखों की भीड़ कह रही है जो अलग-अलग सरकारी दफ्तरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कर्मचारियों का मानना है। कि हम अपने जीवन के सबसे अमूल्य समय को सरकार की सेवा में लगाते हैं, और हमें जब किसी सहारे की जरुरत होती है तब सरकार भी जिस तरीके से तानाशाही व्यवस्था को कायम करते हुए हम सभी के ओल्ड पेंशन स्कीम के अधिकार का खुलकर हमारे शोषण का पूरी तरीके से समर्थन करती है।
क्या है एनपीएस और ओपीएस
ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक तय की गई पेंशन मिलती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन की 50 प्रतिशत राशि का अधिकार लिऐ हुए है। ओपीएस को भाजपा सरकार ने 2003 में 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया था। वहीं एनपीएस के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन के लिए योगदान करते हैं जबकि सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।
सरकार का क्या है रुख़
रैली में आए हुए कर्मचारी प्रतिनिधियों ने मीडियाकर्मियों से कहा, कि चार राज्य पहले ही ओपीएस लागू करने की घोषणा कर चुके हैं। तो केंद्र इसे लागू क्यों नहीं कर सकता। देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली में हिस्सा लिया। यह रैली तब आयोजित की जा रही है, जब केंद्र इस साल मार्च में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को चुनने का एकमुश्त विकल्प लेकर आया था। कार्मिक मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, जो कर्मचारी 22 दिसंबर 2003, जिस दिन एनपीएस अधिसूचित किया गया था, से पहले विज्ञापित या अधिसूचित पदों पर केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल हुए, वे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के लिए पात्र हैं। सरकारी कर्मचारियों का चुनिंदा समूह 31 अगस्त 2023 तक ही इस विकल्प को चुन सकता था। मंत्रालय ने कहा था, कि एक बार इस्तेमाल किया गया विकल्प अंतिम होगा। इस संबंध में विभिन्न अभ्यावेदन, संदर्भ और अदालती फैसलों के बाद यह कदम उठाया गया है।
कर्मचारियों के समर्थन में आई आम आदमी पार्टी
आप प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री भी कर्मचारियों के समर्थन में दिखे ओपीएस लागू करने के लिए दिल्ली सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखा है। वही आप की तरफ़ से समर्थन में रामलीला मैदान पहुंचे सांसद संजय सिंह ने जमकर केंद्र सरकार की क्लास लगाई। व सांसद में उनकी सदस्यता बहाल होने के बाद कर्मचारियों के हित में बात उठाने का भी आश्वासन दिया। रामलीला मैदान में देश के लगभग 20 राज्यों से कर्मचारी पहुंचकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे।
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